भारत-पाकिस्तान के फिलहाल के रिश्तों-हालात पर एक नजर

भारत-पाकिस्तान के फिलहाल के रिश्तों-हालात पर एक नजर




पाकिस्तान का जन्म भारत से अलग होकर हुआ था और दोनों देशों कों आजादी एक ही वक़्त मिली थी लेकिन आज भारत एक तरफ उंचाईयों को छु रहा है तो दुसरी और पाकिस्तान ने दुनियाभर में आतंकी मुल्क के रूप में जगह बनाई है ।

 
भारत की और से अनेकों बार पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सुधारने के प्रयास किए गए लेकिन वह हर बार बेकार ही साबित हुए । चाहे हम भारत में काँग्रेस के शासनकाल की बात करे या फिर पीएम नरेन्द्र मोदी के पहले टर्म की, तब भारत सरकार द्वारा भारत-पाक के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए हर संभव कोशिश भारत की और से की जाती रही । भारत और पाकिस्तान के रिश्तों के बिच दिन-ब-दिन गर्माहट बढ़ती ही जा रही है ।

 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तान की इमेज सुधारने की बहोत कोशिश कर रहे है लेकिन अभी भी वह कामयाबी से बहोत दुर नजर आते है । अगर उनकी छवि को पाकिस्तान में देखा जाए तो उन्हैं "एंग्री ओल्ड मैन" के रूप में देखा जाता है । पाकिस्तान आज कर्जे में डुबा हुआ है और मिडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा के पाकिस्तान एक मुल्क से पैसा लेकर किसी दुसरे मुल्क का कर्जा, ब्याज उतारने को कोशिश कर रहा है ।



● पाकिस्तान सरकार के उपर राजनीतिक संकट :


इमरान खान की बातें फिलहाल काफी थकी हुई नजर आती है । ऐसा लगता है के वह अपनी बेबसी बता रहें हो । इमरान खान सरकार में वित्त मंत्री अब्दुल हाफिज़ शेख सीनेट चुनाव में इस्लामाबाद सीट से पुर्व प्रधानमंत्री युसुफ़ रज़ा गिलानी से हार गए थे । उन्होंने चुनाव आयोग सहित विपक्षी दलों को इस चुनाव में धांधली करने के आरोप लगाए ।

इस करारी हार के बाद इमरान खान देश को संबोधन देते हुए कहा था की, उनकी ही पार्टी के कुछ सांसदों को रिश्वत देकर खरीदा गया । इस हार के बाद इमरान खान ने शनिवार ( 6 मार्च ) को नेशनल असेंबली में विश्वास मत कराने की मांग की थी । विश्वास मत कराकरवह विपक्षी दलों और नेताओं पर दबाव बनाना चाहते थे । इस विश्वास मत में इमरान खान को पहले से भी ज्यादा वोट मिले है ।



● पाकिस्तान के अंतराष्ट्रीय संबंध :


आतंकी गतिविधियों के चलते और टेरर फंडींग मामले में पाकिस्तान को 39 सदस्यीय वित्तीय कारवाई कार्यबल (Fanaicial action tasks force - FATF) ने 'सघन निगरानी' के 'ग्रे लिस्ट' में रखने फैसला किया है ।

पाकिस्तान और सऊदी अरब के संबंधों में कड़वाहट देखने को मिल रही है । पाकिस्तान अब तुर्की के ज्यादा करीब जा चुका है । 370 के जम्मू और कश्मीर से हटने के बाद पाकिस्तान की बोखलाहट साफ नजर आ रही है ।
पाकिस्तान सुन्नी इस्लामिक मुल्क है और सऊदी अरब भी सुन्नी इस्लामिक मुल्क है । भारत ने जम्मू और कश्मीर से स्पेशल प्रोविजन का दर्जा निकालकर उसे युनियन टेरटरी बनाने को लेकर पाकिस्तान ने उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुदा बनाने की कोशिश की लेकिन उसे सऊदी अरब से कुछ भी सहयोग प्राप्त नही हुआ ।

इस्लामीक सहयोग संगठन (organisation of islamic corporation) में इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन सउदी अरब के प्रभुत्व वाले इस संगठन ने कोई भी टिप्पणी इस मुद्दे को लेकर नही की । इस विषय को लेकर सउदी अरब और पाकिस्तान के रिश्ते बिगड़ चुके है ।

पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर को लेकर मुद्दा उठाता रहा और भारत पाकिस्तान के आतंकी कारनामो को उठाता रहा है ।

अमेरिका के पुर्व राष्ट्रपति डाॅनल्ड ट्रंप लगातार चार साल पाकिस्तान को धमकाते रहे है । खास कर डाॅनल्ड ट्रंप का यही रूख सभी मुल्कों के लिए था ! अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन पाकिस्तान के साथ क्या रूख़ अपनाते है यह देखने वाली बात होगी । अमेरिका लगातार पाकिस्तान से दहशतगर्दी कम करने के लिए कहता रहा है । बाकी यूरोपियन मुल्कों में पाकिस्तान की इमेज कुछ साफ नही है ।

CPEC प्रोजेक्ट को लेकर चायना के साथ भी पाकिस्तान का विवाद चल रहा है । अब चायना भी पुरी तरह से पाकिस्तान के साथ नहीं है । पाकिस्तान आक्युपाईड कश्मीर(Pok) में चायना के प्रोजेक्ट्स को वहाँ की जनता नुकसान पहुंचाने की खबरें मिल रही है और इससे चायना को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है । ऐसे में चायना भी पाकिस्तान पर दबाव बनाए हुए है ।

● भारत के साथ शांती वार्ता का  :


पाकिस्तान-भारत पीपल्स फोरम फाॅर पीस अँड डेमोक्रेसी ( Pakistan-india people's forum for peace and democracy ) इस मंच के जरिए दोनों देशों के पत्रकार, कलाकार, लेखक, साहित्यिक और अन्य क्षेत्र के लोग दोनों देशों के बीच शत्रुता कम होकर मैत्रीपूर्ण संबंध कायम होने के लिए 20 साल से प्रयास कर रहे है ।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया था के
इस साल 28 जनवरी तक 299 घटनाएं और 2020 में 5133 वक़्त सीजफायर उल्लंघन हुआ ।

सीजफायर रोकने लिए भारत और पाकिस्तान ने सीजफायर समझौता 24 फ़रवरी को रात 12 बजे से लागु किया गया । DGMO ( Director general of military operations) स्तर पर हुई इस बातचीत में Loc पर शांती बनाए रखने के लिए समझौता हुआ है । तकरीबन पिछले 18 सालों में किसी तिथी अनुसार यह समझौता लागु हुआ है ।

2018 में भी ऐसा ही एक समझौता हुइ था लेकिन वह ज्यादा दिन तक चला नही ।

मिडिया रिपोर्ट्स अनुसार भारत के राष्ट्रिय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल और पाकिस्तान के मेमन के बीच हुई कई गुप्त बैठकों के बाद यह फैसला लिया गया है ।

कुछ दिनों पहले पाक प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल बाजवा के कुछ ऐसे स्टेटमेंट आए जिसमें भारत के साथ राजनीतिक शांती वार्ता की तैयारी दिखाई थी । लेकिन जब भी पाकिस्तान की तरफ से शांति वार्ता की बात होती है उसके साथ कुछ शर्तों कों शामिल किया जाता है, जिसके कारण इसका कुछ हल नही निकलता है ।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता है के 2001 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर समस्या का हल निकाल लिया था मगर 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर हुए हमले से सब मामला और भी बिगड़ गया । 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी और परवेज मुशर्रफ के बीच हुए समझौते से 2006 तक हालात अबतक के सबसे बेहतर मिलने जाते है ।

भारत की और पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सुधारने के लिए अनेकों प्रयास किए गए । तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के वक्त पाकिस्तान के साथ मनोरंजन, क्रिकेट, राजनीतिक और अन्य मामलों कुछ हद तक बेहतर संबध रहे लेकिन 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के बाद से रिश्ते और खराब होते गए ।

अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले टर्म (2014) की बात करें तो उन्होंने अपने शपथग्रहण समारोह में सार्क ( SAARC) देशों को भी बुलाया था । उसमें पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ भी आए थे । पीएम मोदी भी नवाज़ शरीफ़ से मिलने ख़ास तौर पर पाकिस्तान गए थे । लेकिन इन सब मामलों का कोई फर्क नही पड़ा उल्टा पाकिस्तान की और से भारत को दहशतगर्दी का सामना करना पड़ा । 

Image source : google | image by : wikipedia

ऊरी, गुरदासपुर, पठानकोट और पुलवामा ऐसी अनेक आतंकी घटनाओं को पाकिस्तान के अंदर से अंजाम दिया गया । लेकिन पाकिस्तान ने इन सब के बावजूद कोई ठोस कदम नही उठाए ।

इसके बाद भारत की और स्टैंड लिया गया है पहले पाकिस्तान की और से आतंकवाद को खत्म किया जाए या आतंकवाद के खिलाफ़ सख्त कदम उठाए जाए, फिर ही पाकिस्तान के साथ शांती वार्ता की बात की जाएगी ।


● क्रिकेट और मनोरंजन :


भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच मुंबई आतंकी हमले के बाद से कम होते गए । भारत में हो रहे आतंकी हमले और कश्मीर में चरमपंथ को बढ़ावा पाकिस्तान के अंदर से अंजाम दिए जाने को लेकर भारत की और से पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने को बैन लगा दिया गया ।

इस बैन को हटाने को लेकर पाकिस्तान और भारत के कुछ लोग-क्रिकेटर प्रयास कर रहे है । पाकिस्तान के पुर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर ने अपने यूट्यूब चैनल पर विडियो प्रसारित कर दोनों देशों के जिम्मेदार लोगों की आलोचना की थी । उन्होंने उस विडियो में कहा था की, जब दोनों देश कबड्डी, डेविस कप और अन्य खेल, खेल सकते है तो क्रिकेट क्यों बैन किया गया है ।

हाल ही में युवराज सिंह और शाहिद अफरिदी ने दोनों देशों के बीच क्रिकेट शुरू होने की ख्वाहिश जताई थी ।



2016 में हुए उरी हमले के बाद पाकिस्तान के एक्टर्स को भारत में बैन लगा दिया था लेकिन पाकिस्तानी सिंगर भारतीय सिनेमा में अपनी आवाज दे रहे थे लेकिन पुलवामा महुआ आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों के लिए भारत के दरवाजे बंद कर दिए गए ।



● भारत- पाक व्यावसायिक संबंध :


भारत ने जम्मू और कश्मीर का स्पेशल स्टेटस हटाकर उसे युनियन टेरटरी में बदलने के बाद पाकिस्तान की और से भारत के साथ सभी राजनीतिक संबध को तोड़ दिए गए । साथ ही अपने राजदूत को भारत से वापस बुला लिया गया था । रेलवे और भारत के लिए एअर स्पेस पाकिस्तान की और से बंद कर दिया गया है ।

मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार पाकिस्तान अब अपने इस फैसले को बदलने की फिराक में है । इस फैसले को लागु कर पाकिस्तान ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है । इस फैसले को लागु करने पाकिस्तान के बहोत से उद्योगपति और छोटे कारोबारीयों को नुकसान उठाना पड़ रहा है ।


2018-19 में भारत ने पाकिस्तान को 2.07 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि पाकिस्तान से भारत को 0.49 बिलियन डॉलर का आयात आया । भारत पाकिस्तान को कपास, ऑऱगेनिक केमिकल, ब्यालर्स, मशीनरी आदि मुख्य रूप से निर्यात करता है। जबकि पाकिस्तान भारत को सीमेंट, पहाड़ी नमक, ड्राई फ्रूट आदि का निर्यात करता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच इस समय सलाना द्विपक्षीय व्यापार 2.5 अरब डॉलर के करीब है । भारत-पाकिस्तान के कुल द्विपक्षीय व्यापार में भारतीय निर्यात् की भागीदारी 75 प्रतिशत है, जबकि पाकिस्तानी आयात की भागीदारी 25 प्रतिशत के करीब है ।

खबरों के मुताबिक पाकिस्तान भारत से कपास आयात करने के फिराक में है । इस का फैसला अब पीएम इमरान खान के पास है ।

पाकिस्तान को निर्यात बंद होने के बाद पंजाब, राजस्थान और गुजरात के किसानों को नुकसान की संभावना जताई गई है, क्योंकि इससे कपास का उचित मूल्य बाजार में उन्हें नहीं मिल सकता है। ऑरगेनिक कैमिकल के निर्यातकों को भी व्यापार बंद होने से इसका नुकसान होगा, क्योंकि दुनिया भर में इस समय निर्यात बाजार ढूंढने में उद्योगों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है, उन्हें भारी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा है ।






Source :


1) https://www.amarujala.com/

2) https://navbharattimes.indiatimes.com/

3) https://www.mea.gov.in/

4) https://youtu.be/iLQKbvPjA4s






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2 टिप्पणियाँ

धन्यवाद् आपकी राय महत्वपूर्ण है ।

  1. भारत - पाकिस्तान संबंधों की आर्थिक, राजनीतिक एवं अंतर्राष्ट्रीय पहलू को बारीकी से छूता लेख.... लेखक को बधाई 💐

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