किसान आंदोलन को 100 दिन पुरे, किसान कर रहे हैं दिल्ली बंद की तैयारी

किसान आंदोलन को 100 दिन पुरे, किसान कर रहे हैं दिल्ली बंद की तैयारी 


     Image source : Twitter | image by : ANI

कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए पिछले 100 दिनों से किसान दिल्ली के नजदीक जमे हुए हैं । 26 जनवरी के घटना के बाद किसान और सरकार में संबध और भी बिगड़ चुका है । सरकार पर उर दबाब बढ़ाने के लिए किसान भारी मात्रा में दिल्ली आ रहे है ।

सरकार की मनशा साफ नजर आ रही है । सरकार यह तिनों कृषि कानूनों को किसी भी हालत में वापस लेने या रद्द करने के लिए राजी नही है । सरकार की और इस कानुन के फायदे बताने के लिए जनता में  जाने की काफ़ी कोशिश की गई । यह कोशिश खास कर उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में कारगर साबित नही हुई ।  काफी जगह पर बीजेपी नेता और किसानों का टकराव भी देखने को मिला ।

सरकार की और से कुछ भी प्रयास न होने पर और किसान आंदोलन को 100 दिन पुरे होने पर किसानों ने दिल्ली को अन्य राज्यों से जोडने वाले छह (06) लेन के  एक्सप्रेस वे को बंद करने के लिए किसान फिर से एकजुट हो रहे है ।



पंजाब के 68 साल के अमरजीत सिंह ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि “मोदी सरकार ने लोगों के इस विरोध प्रदर्शन को 'ईगो' यानी अपने 'अहम् का मुद्दा' बना लिया है । वो किसानों का दुख नहीं देख पा रहे । उन्होंने किसानों के सामने विरोध करने के अलावा कोई और पर्याय नही छोड़ा ही नहीं ।”

किसान एकता मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि आज(शनिवार) को 'किसान कुंडली-मानेसर-पलवल हाईवे जाम करेंगे ।' ये बंद सवेरे 11 बजे से शाम के सात बजे तक होगा । साथ ही धुप में बैठकर विरोध जताया जाएगा ।





इन जगहों पर जगह-जगह किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है । किसान बड़ी संख्या में ट्रैक्टर लेकर पहुँच रहे है । इस विरोध प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतेज़ाम किए हुए है । 




किसानों का कहना है जबतक यह तिनों कृषि कानूनों को वापस नही लिया जाता तबतक यह आंदोलन होता रहेगा । किसान नेता कह रहे " मोदी सरकार किसानों की परेशानी को समझकर यह तिनों कानूनों को वापस लेले और सारे किसान वापस लौट जाएंगे ।"

किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए दिल्ली में ही ना बैठकर किसान नेताओं ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा में महापंचायत का आयोजन कीया था । इस महापंचायत को किसानों का भारी समर्थन प्राप्त हुआ है । अब देखना यह है के सरकार इसी रवैया पर रहती है के किसानों की बातें मानकर इन तिनों कानूनों को वापस लेती है ।


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