कुछ ऐसा भी न्याय ...




नई दिल्ली : मई 1987 में उत्तर प्रदेश के मलियाना में 72 मुसलमानों की हत्या और अनेकों के घर जला दिए गए थे । यहां तक के मासुम बच्चों को जलती आंच में फेका गया था । 36 साल बाद इस मामले में 38 आरोपियों को सबूतों के अभाव और गवाहों के बयानों में प्रमाणिकता की कमी के कारण मुक्त किया गया ।

इस केस में बीस साल तक ट्रायल शुरू नही किया गया ।  FIR रहस्यमय तरिके से गायब कर दि जाती थी । जिनको चोटें आई थी, उनके बयानों को सही तरह से कोर्ट में पेश नही किया गया । उनकी मेडीकल रिपोर्ट तक कोर्ट में पेश नही की गई । केस को पुरी तरह से कमजोर किया गया ।

अगर सभी निर्दोष है, तो 72 लोंगो के कत्ल किसने किया ? यह हमारे न्यायतंत्र की नाकामी नही है ? संविधान, लोकतंत्र हमारे लिए लागु नही है ? कुछ सवाल है, अगर हुकुमत चाहे तो इसके जवाब मिल सकते है, लेकिन ऐसा नही होगा । हमारी चौखटें जब तक अलग-अलग रहेगी तब तक ऐसा ही रहेगा ।

सरकारें कोई भी हो, हर कोई फायदे के लिए इस्तेमाल करता आ रहा है और करता रहेगा । जबतक एक मंच और एक आवाज न होगी - कोई प्रभाव नही दिखेगा ।

यह सिर्फ एक जगह की घटना है । बाकी हम नारें लगाते रहे और बिखरे - बिखरे जिंदगी गुजारते रहे । बाकी सब्र .....

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