What is the negative points of Aimim ? एआययमआयएम के कुछ नकारात्मक मुद्दे

What is the negative points of Aimim ? 
एआययमआयएम के नकारात्मक मुद्दों पर एक नजर :


      Image source : google | image by : Aroop Mishra/the quint



आज के इस दौर में आॅल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन सिर्फ़ हैदराबाद या तेलंगाना तक ही नही पुरे भारत भर में अपनी जड़ें फैलाने मे कामयाबी हो चुकी है । अपने आक्रमक भाषण ( speech ) के जरिए हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ( assadudin owesi ) और इनके छोटे भाई तथा चंद्रयानगुट्टे से विधायक अकबरूद्दीन ओवैसी खास कर मुसलमानों के बीच अपनी छवि को मजबुत बनाने में कामयाब हो चुके है ।


अगर फिलहाल की राजनीति की बात की जाए और राजनीतिक विश्लेषकों की बात मानी जाए तो एआययमआयएम (AIMIM) के इन दो आक्रमक नेताओं की फिलहाल की राजनीति पर पजर डाली जाए तो, शुरुआत में जिस प्रकार की राजनीति नजर आती थी वह अब नही दिखती । 

असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों के हितों के साथ ही दलित, आदिवासी औल पिछडें समुदाय के हित की बात भी कर रहे है । गुजरात में छोटुभाई वसावा के एआययमआयएम का गठबंधन भी तय हुआ है ।



What is the negative points of Aimim ? 
एआययमआयएम के कुछ नकारात्मक मुद्दे :


1) अकबरूद्दीन ओवैसी की स्पीच : 


असदुद्दीन ओवैसी की सभाओं पर गौर किया जाए तो फिलहाल कोई दुसरे, एक-दो नेता ही नजर आएंगे जो फैक्ट, डाटा और कानुन को मजबूती से पकड कर बात करते हो । लेकिन दुसरी तरफ उनके छोटे भाई अकबरूद्दीन ओवैसी की पुरानी तकरिरों/भाषण ( speech ) को देखा जाए तो वह दो समुदायों के बिच नफरत को बढ़ावा देने का काम करती है । गत कुछ वर्षों से उन्होंने सांप्रदायिकता भरे भाषण देना बंद किया है और अपनी छवि को सुधारने में लगे हुए हैं ।


2) मुसलमानों या कुछ खास समुदाय विशेष के लोंगो की ही बात करना :


सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनके पार्टी के ज्यादातर नेता मुस्लिम समुदाय से ही आते है । असद ओवैसी के आक्रमक भाषणों को उनके नेता कापी करते है, जिसके कारण वह भारत के बहुसंख्यक समुदाय के लोगों में अपनी जगह बनाने के लिए विफल रहे है । और ज्यादातर उनकीं सभाओं में मुसलमानों के मुद्दों के उपर ही बात की जाती है । जिसके कारण वह किसी एक समुदाय विशेष के लोंगो का प्रतिनिधित्व कर रहे है, ऐसा महसूस होता है ।




3) पार्टी में किसी गैर-मुस्लिम को उंचा पद नही :


आॅल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्ट में किसी भी बड़े पद पर भारत के बहुसंख्यक समुदाय से किसी को चुना नही गया या किसी भी राज्य में प्रदेश अध्यक्ष बहुसंख्यक समुदाय से नही आता । या फिर कोई भी नैशनल प्रवक्ता बहुसंख्यक समुदाय से नही आता है ।

4) ज्यादातर मुस्लिम एरिया से ही चुनाव में हिस्सा लेना :

देश में अगर कुछ एक जगहों को छोड़ दे तो असदुद्दीन ओवैसी अपने उम्मीदवार मुस्लिम एरिया से ही खड़े करते है । जिसके कारण उनकी छवि मुस्लिम नेता के रूप में ही उभरी है ।




5) चुनावी सभाओं में समुदाय विशेष लोगों के मुद्दों को उठाना :

चुनावी सभाओं में समुदाय विशेष के लोंगो के मुद्दों/मसलों को जिंदा कर, जनता को अपनी और खिंचने की कोशिश करते है । बाकी सांप्रदायिक ताक़तों तथा पार्टीयों को ध्रुवीकरण करने में आसानी होती है ।

खास बात यह है के असद ओवैसी इन सब मुद्दों को छोड़कर भी शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी और अन्य जरूरी मुद्दों पर भी बात करते है ।



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