"कोरोना योद्धा विश्वविद्यालय" स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय नांदेड़

"कोरोना योद्धा विश्वविद्यालय" स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय नांदेड़




भारत एक पैनडेमिक स्थिति से गुजर रहा है । ऐसे मे एक विश्वविद्यालय सिर्फ ज्ञान से ही नही, कोरोना टेस्टिंग कर  अपनी अलग छवि तैयार की है । इससे तकरीबन चार जिलें के लोगों को फायदा पहुंच रहा है । इस विश्वविद्यालय के स्टाफ ने अपने को इस महामारी में सामने रखकर समाजसेवा के अलग मुकाम को हासिल किया है ।  

कोरोना वायरस के शुरुआती दिनों में कोविड-19 बारे में कोई भी परिपूर्ण जानकारी उपलब्ध नही थी । इसके खतरे से सब डरे हुए थे । ऐसे में विश्वविद्यालय ने तिन-चार जिलों के लोगों की कोरोना टेस्टिंग करने की जिम्मेदारी ली और शासन-प्रशासन के साथ ही समाज को राहत की सांस लेने में मदत की । आइए तो जानते इस विश्वविद्यालय के कारनामे के बारे मे ! 



स्वामी रामानंद तीर्थ को 'मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम' ( मराठवाड़ा की आजादी ) को लेकर जाना जाता है । उनके ही पैरों पर चलकर स्वामी रामानंद तीर्थ विश्वविद्यालय ने कोरोना के इस पैनडेमिक स्थिति में अपना योगदान देकर, कोरोना योद्धा की भूमिका निभाई है ।

इस कोरोना वैश्विक महामारी ने, दुनिया भर के लोगों के जनजीवन को हिला कर रख दिया है । कोरोना के इस पैनडेमिक स्थिति मे दुनियाभर के सभी सिस्टम ने कोरोना वायरस के खिलाफ़ डटकर सामना किया है । 



 
मराठावाड़ा के स्वतंत्रता संग्राम में स्वामी रामानंद तीर्थ का योगदान अमूल्य है।  स्वतंत्रता, शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी की लड़ाई में उनके योगदान के लिए विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया ।  स्वामी रामानंद तीर्थ के काम के परिणामस्वरूप, कोरोना वारियर्स विश्वविद्यालय ने आज के कोरोना संक्रामक जैसे महामारी  में एक योद्धा की भूमिका निभाई है ।

यह एक उत्तम उदाहरण है कि, अकादमिक, राजनीतिक इच्छाशक्ति और समर्थन के चलते रचनात्मक टीमवर्क क्या कर सकता है । विश्वविद्यालय प्रशासन को साथ लेकर चलने वाले कुलपति डॉ. उद्धव भोसले और साथ में नांदेड़ जिले के कलेक्टर डॉ. विपिन इटानकर का प्रशासनिक स्तर पर सहयोग और प्रयास, और साथ ही पुलिस प्रणाली का कार्य, सभी सराहनीय हैं ।



कोरोना टेस्टिंग लेबोरेटरी की सफलता, विश्वविद्यालय के शोध प्रोफेसरों और छात्रों के सहयोग और उनकी लगन के साथ नांदेड़ जिले के पालकमंत्री मंत्री अशोक चव्हाण के दूरदर्शिता के कारण संभव हुई है । केवल 23 दिनों में सभी प्रशासनिक/सरकारी प्रक्रियाओं- नियमावली को पूरा किया और एक प्रयोगशाला विश्वविद्यालय के अंतर परीक्षण करने के लिए तैयार हो गईं ।  

विश्वविद्यालय ने स्वास्थ्य प्रणाली को सहयोग करते हुए कोविड-19  ​टेस्टिंग लेबोरेटरी स्थापित कर, सच्ची सामाजिक जिम्मेदारी की अपनी भूमिका को पूरा किया ।

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा सुभे में, पहले कोरोना टेस्टिंग औरंगाबाद या पुणे में किए जाते थे ।  इससे मरीज और सिस्टम को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था ।  इस प्रयोगशाला की सफलता का कारण, सरकार, प्रशासन और सभी सिस्टम के संयुक्त प्रयास करने से नांदेड़ में स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में बेसिक सहूलियतें और मैन पावर के जोर पर इस प्रयोगशाला में कोरोना टेस्टिंग और इलाज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।

नांदेड़ जिला भौगोलिक रूप से एक बड़ा जिला है, जिसकी सीमा तीन राज्यों से जुड़ी हुई है, अन्य राज्यों के लोग रोजगार और अन्य कारणों से इस जगह से बड़े पैमाने पर जुड़े हैं । इसके बदले में कोरोना संक्रमण नांदेड़ जिले में बढ़ गया । इसी प्रकार नांदेड़, परभणी और हिंगोली जिलों के कोरोना रोगियों के स्वाब या नमूनों की जांच इसी स्थान पर की जा रही है । लैब के प्रमुख डॉ. गजानन जोरे के मार्गदर्शन में कोरोना जांच यहाँ की जा रही है ।


               फोटो में : डाॅ. गजानन झोरे

स्वतंत्रता के सबसे बड़े आंदोलन के बाद, राज्य या देश के सामने जीवन को जीवित रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है ।  कोरोना ने जीवन में सब कुछ बदल दिया । डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के दिन और रात भर के प्रयासों के कारण ट्रेसिंग, परीक्षण और उपचार करने से प्रमुखता से कोरोना से मृत्यु को रोकने में मदद हुई है ।  

परभणी, नांदेड़, हिंगोली के तीनों जिलों के कलेक्टरों ने आवश्यक सहायता की और विश्वविद्यालय ने मैन पावर तैयार/ प्रदान किया । समाजिक सरोकार को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय के लैब कर्मियों ने अपने आप को इस पैनडेमिक में सामने रखा और कोविड-19 के जांच में भाग लिया ।

स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय नांदेड़, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, दिल्ली (ICMR) और NABL ( National Accreditation Board for Testing and calibration ) द्वारा मान्यता प्राप्त करने वाला भारत का पहला गैर-कृषि विश्वविद्यालय बन गया ।  यह मराठवाड़ा के लिए गर्व की बात है ।  प्रयोगशाला में प्रति दिन 600 से अधिक कोरोना नमूनों की रिपोर्टिंग क्षमता है और अब तक 80,000 से अधिक कोरोना परीक्षण रिपोर्ट का परीक्षण किया गया है ।




विश्वविद्यालय में कोविड-19 परीक्षण लैब के प्रमुख डॉ. ज़ोरे के साथ ही विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग के छात्रों और शोधकर्ताओं की भुमिका महत्वपूर्ण है ।





स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विद्यापीठ के कुलपति उद्धव भोसले के मुताबिक, विश्वविद्यालय ने कोरोना जैसे अन्य वायरल संक्रमणों के निदान के लिए एक प्रणाली स्थापित की है और उन्नत प्रौद्योगिकी और सामग्री प्रदान करके विभिन्न परीक्षणों की तैयारी के लिए काम चल रहा है । 

वर्तमान में इस प्रयोगशाला, अर्ध स्वचालित परीक्षण   ( Semi Automated Testing ) विधि का उपयोग कर परीक्षण किया जा रहा है और निकट भविष्य में पूरी तरह से स्वचालित परीक्षण प्रणाली ( Fully Automatic Testing System ) को पूरी तरह से लागू करने का प्रयास किया जा रहा है ।


इस महत्वपूर्ण कामयाबी और सफल कोविड-19 की टेस्टिंग लैब के उपर महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री तथा नांदेड़ जिले के पालकमंत्री अशोक चव्हान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा की, 




 "कठिन समय के दौरान कोरोना परीक्षण में सह-संचालन और अनुसंधान भूमिका के लिए नांदेड़ विश्वविद्यालय की सराहना की जानी चाहिए ।"

 
मनुष्य का जिवन अमुल्य है । विश्वविद्यालय ने ज्ञान देने के साथ ही जिवनदान देने का पाठ सबको पढाया है । यह सबक सबको याद रखने की जरूरत है । इसलिए इस विश्वविद्यालय को कोरोना योद्धा विश्वविद्यालय कहना उचित होगा । 

महाराष्ट्र में कोरोना की दुसरी लहर जोर पकड़े हुए है । सरकार और प्रशासन इस महामारी से जूझने की पुरी तैयारी कर रहे है । ऐसे में "कोरोना योद्धा विश्वविद्यालय" फिर से अपनी सेवा समाज को देने के लिए तैयार हुआ 
है । 


●●●


■ मेन कंटेंट : स्कुल आॅफ मिडिया स्टडीज, स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, नांदेड़ 

■ आभार : डाॅ. दिपक शिंदे ( डायरेक्टर, मीडिया स्टडीज स्वामी रामानंद तिर्थ मराठवाड़ाविश्वविद्यालय, नांदेड़ )

■ ट्रांसलेशन & अपडेट : Sk Hajee

एक टिप्पणी भेजें

धन्यवाद् आपकी राय महत्वपूर्ण है ।

और नया पुराने