मोदी सरकार के किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ़ देशभर मे किसान सड़कों पर
नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि अध्यादेश के खिलाफ़ देशभर के किसान सड़कों पर निकल आए है । खास कर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश मे किसानों का मोदी सरकार के खिलाफ़ भारी विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है । किसानों के इस विरोध प्रदर्शन मे आढ़ती और एक बढ़ा व्यापारी वर्ग भी मैदान मे है ।
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काँग्रेस पार्टी ने इस अध्यादेशों को किसान विरोधी बताते हुए इस अध्यादेश के विरोध मे उतर आयी है । पंजाब मे बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल किसानों के विरोध को देखते हुए अब किसानों के समर्थन मे आयी है । और इस बारे मे चर्चा के लिए केंद्र सरकार से मिलने का समय मांगा है ।
मोदी सरकार कृषि संबंधी अध्यादेशों को संसद मे पेश करने जा रही है । किसानों का कहना है के इस अध्यादेशों के लागु हो जाने के बाद इसका असर खरिद-फरोख्त निती पर पड़ेगा । किसानो को इस अध्यादेशों को लेकर डर लग रहा के किसान पुरी तरिके से कार्पोरेट घरानों पर निर्भर हो जाएंगे और जो सरकार की तरफ से न्युनतम समर्थन मूल्य है वह खत्म किया जाएगा ।
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क्या है पुरा मामला ?
केंद्र सरकार अपने अध्यादेशों मे किसान को अपनी फसल को किसी भी राज्य मे बेचने की इजाजत दे रही है । इसपर किसानों का का कहना है कि, किसानों मे एक जुटता न होने की वजह से किसानों को फसलों के पहले अच्छे दाम देकर बाद में प्रायवेट खरीदारों की और से फसलों की प्राइज़ मे गड़बड़ी की जाएगी । सरकार इन अध्यादेशों मे शांता कुमार कमेटी की सिफारिशों को लागु करने जा रही है । इस कमेटी की सिफारिशों में किसानों को सरकार की तरफ से दिया जाने वाला न्युनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने की बात की गई है । पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान साल मे दो बार चांवल और गेहूं की फसल लेते है, और सरकार उसे न्युनतम समर्थन मूल्य देकर खरीदती है । इस अध्यादेशों का असर सिधे इन किसानों पर पडेगा ।
संसद से लेकर सड़क तक किसानों का विरोध् प्रदर्शन
आज संसद के बाहर इन अध्यादेशों को लेकर किसानों ने भारी विरोध प्रदर्शन किया । इस विरोध प्रदर्शन मे भारतीय किसान युनियन के साथ अनेक किसानों और संगठनों ने हिस्सा लिया ।
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