ट्रंप बोले रुको, मोदी रुक गए’ – ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी के तीखे सवाल
खड़े बोल डेस्क | 3 जून 2025
नई दिल्ली : भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव और “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर देश की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। इस बार बहस का कारण बना है कांग्रेस नेता राहुल गांधी का वह बयान जिसमें उन्होंने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा-आरएसएस पर निशाना साधते हुए यह आरोप लगाया कि "अमेरिका के कहने पर भारत ने अपना सैन्य अभियान रोक दिया।" उनके इस आरोप से देश की सियासत गरमा गई है और मोदी सरकार की विदेश नीति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।"
राहुल गांधी के इस बयान को कई स्तरों पर देखा जा रहा है – एक विपक्षी नेता के साहसिक हमले के रूप में, एक पूर्व प्रधानमंत्री के पुत्र द्वारा उठाया गया संप्रभुता से जुड़ा सवाल, और साथ ही एक ऐसे वक्तव्य के रूप में जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों की पेचीदगियों को सार्वजनिक बहस में ला रहा है।
🔻 शुरुआत कहां से हुई?
पिछले कुछ दिनों से मीडिया में यह चर्चा थी कि भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के अंदर एक गुप्त सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया है, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया और करीब 100 आतंकवादियों को ढेर किया। लेकिन यह ऑपरेशन कथित रूप से अधूरा रह गया — क्योंकि, राहुल गांधी के अनुसार, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कहने पर प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन रुकवा दिया।
🔻 राहुल गांधी ने क्या कहा?
"मोदी जी ने ऑपरेशन सिंदूर अमेरिकी दबाव में रोक दिया। ट्रंप ने फोन किया और कहा – 'स्टॉप' – और मोदी जी ने रुकने का आदेश दे दिया। क्या अब भारत की सैन्य कार्रवाई अमेरिका के इशारे पर होगी?"
इसके अलावा उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर भी तीखा हमला बोला, "भाजपा और आरएसएस के लोग समर्पण के आदी हैं। इनके डीएनए में लड़ना नहीं है, बल्कि डर कर झुक जाना ही इनकी पहचान है।" यह बयान तीखी प्रतिक्रियाओं का कारण बना हुआ है।
🔻 भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के बयान पर भाजपा ने तुरंत पलटवार किया। रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने इसे "देश की सेना का अपमान" बताया।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा:
“राहुल गांधी को पहले सेना से माफी मांगनी चाहिए, जिन्होंने अपने प्राणों की बाजी लगाकर ऑपरेशन को अंजाम दिया। देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों में इतनी गैरजिम्मेदाराना बयानबाज़ी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जा सकती।” भाजपा के अनुसार, राहुल गांधी का बयान राजनीतिक लाभ के लिए सेना का मनोबल तोड़ने वाला है।
🔻 ऑपरेशन सिंदूर क्या था?
यह एक सीमित अवधि का टारगेटेड ऑपरेशन था, जो PoK में मौजूद आतंकियों के लॉन्च पैड्स को निशाना बनाकर किया गया। लगभग 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया। इस ऑपरेशन में स्पेशल फोर्सेस का इस्तेमाल किया गया। अमेरिका की ओर से 'संयम बरतने' का संदेश दिए जाने के तुरंत बाद यह ऑपरेशन रोक दिया गया, ऐसा मीडिया रिपोर्ट्स मई कहा गया है।
🔻 क्या अमेरिका ने हस्तक्षेप किया?
राहुल गांधी के आरोप की पुष्टि सीधे तौर पर अमेरिका या भारत की किसी आधिकारिक एजेंसी ने नहीं की है। लेकिन कुछ अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात जरूर सामने आई है कि ट्रंप प्रशासन ने उस समय भारत से संयम बरतने की अपील की थी। यह पहली बार नहीं है जब भारत की सैन्य नीति पर विदेशी दबाव की चर्चा हुई हो। बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भी पाकिस्तान ने यह दावा किया था कि अमेरिका, चीन और यूएई ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को टालने में अहम भूमिका निभाई।
राहुल गांधी के आरोपों का मूल प्रश्न यही है: क्या भारत जैसे संप्रभु राष्ट्र की सैन्य कार्रवाई अमेरिकी निर्देशों पर रोकी जा सकती है? यदि ऐसा हुआ है, तो यह निश्चित रूप से विदेश नीति और सुरक्षा रणनीति की स्वतंत्रता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। भारत को अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है और भारत अपने दुश्मन को जवाब देना भी जानता है।
भारतीय सेना ने इस पूरे मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सोशल मीडिया पर आम लोगों की राय दो धड़ों में बंटी है: एक वर्ग राहुल गांधी को "साहसी" और "सत्य बोलने वाला नेता" बता रहा है, जो जनता को वास्तविकता से अवगत कराता है। दूसरा वर्ग उन्हें "गैरजिम्मेदार" और "राजनीति के लिए सेना को बदनाम करने वाला" नेता कह रहा है।
सवाल उठाना गुनाह है?
राहुल गांधी के आरोप गंभीर हैं, और उन पर बहस होनी चाहिए। अगर उन्होंने तथ्यों के आधार पर बात की है, तो सरकार को जवाब देना चाहिए। और अगर यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी है, तो इसका भी पर्दाफाश होना जरूरी है। भारत की जनता को यह जानने का हक है कि हमारी सरकारें, हमारी सेनाएं और हमारी विदेश नीति कितनी स्वतंत्र हैं – और क्या सच में कोई विदेशी ताकत हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा तय करती है?
📌 यह लेख स्वतंत्र पत्रकारिता के मूल्यों के तहत प्रकाशित किया गया है। इसमें उठाए गए सवालों का उद्देश्य किसी संस्था को अपमानित करना नहीं, बल्कि सार्वजनिक बहस को मजबूत बनाना है।
लेखक: SK Hajee
वेबसाइट: www.khadebol.in
तारीख: 3 जून 2025
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